विश्वास – मेजर जनरल अभि परमार

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विश्वास

फिर दिखी भारत की महिमा
फिर जागा खुद में विश्वास
अनेकता में एकता का
कैसा था अद्भुत प्रयास

जाति धर्म से हुए परे हम
जब आया संकट विशाल
हिला दिया पर्वत भी तुमने
गो प्रत्यक्ष खड़ा था स्वयं काल

जूझ रहा विज्ञान एक ओर
एक तरफ़ मृत्य विकराल
ले आये फिर भी तुम सबको
यमराज के मुख से निकाल

इस ओर दिखा मानव का साहस
उस ओर एक अडिग विश्वास
हर रोज़ नये संकट आये
पर टूटी नहीं तुम्हारी आस

सत्रह दिन तक युद्ध चला ये
रोज़ नये निश्चय के साथ
रोज़ नयी आशा को लेकर
रहे जूझते सबके हाथ

फिर दिखा दिया तुमने इस जग को
क्यों भारत है अखंड अभेद
मिला दिये क्षण भर मे तुमने
गीता कुरान और चारो वेद

अभि परमार
28 नवम्बर 2023

2 thoughts on “विश्वास – मेजर जनरल अभि परमार

  • December 2, 2023 at 12:12 am
    Permalink

    Excellently narrated the strength of our countrymen and their belief in culture which keeps us going in the worst of situations.

  • December 1, 2023 at 9:33 pm
    Permalink

    बहुत ही उत्साह वर्धक कविता जो डेडीकेटेड टीम को समर्पित करने योग्य है। साधुवाद

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