कभी कभी बिन बुलाये…….. लेखक मेजर जनरल अभि. परमार (रि.)
हिन्दी दिवस पर 👇
कभी कभी बिन बुलाये
कभी-कभी बिन बुलाये भी आया करो
कभी बिना वजह भी मुस्कराया करो
ये जिंदगी है कब गुज़र जाये क्या पता
जो बची है उसे यूँ न ज़ाया करो
उम्र तो उम्र है बढ़ती ही रहेगी
तुम उसके संग कदम न मिलाया करो
खुश हो जाती है गलियाँ तुम्हें आता देख कर
तुम अक्सर ऐसे ही आया जाया करो
कुछ लोग अब भी पूछा करते हैं तुम्हारा पता
हो सके तो उनसे आ कर मिल जाया करो
कुछ घरों के मटके अब सूख चले हैं
कभी-कभी उनको भी भर जाया करो
अपनी गलतियाँ भला किसे याद रहतीं हैं
कभी तो उन्हें भी याद दिलाया करो
सारी उम्र चलती रहीं तुम पीछे पीछे
कभी कभी सामने भी आ जाया करो
जिंदगी गुज़ार दी तुमने औरों के खातिर
कभी तो अपना हक भी जताया करो
थक कर बैठ गईं हैं पड़ोस की बुआ अब
कभी उनके बालों को जाकर सहलाया करो
मेरी तो बचपन की आदत है भूल जाने की
कभी तुम ही मुझे कुछ बताया करो
कभी बेवजह यूँही मुस्कुराया करो
अभि परमार
13 Sept
लेखक – मेजर जनरल अभि परमार वीएसएम (सेवानिवृत्त), दिसंबर 1969 में आईएमए से इन्फैंट्री (द राजपूत रेजिमेंट) में कमीशन अधिकारी बने थे । उन्होंने रेगिस्तान, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और पूर्वोत्तर में और विभिन्न मुख्यालयों एवं प्रशिक्षण प्रतिष्ठान में विभिन्न नियुक्तियों पर भी काम किया है। । वह महानिदेशक भारतीय गोल्फ संघ (2009 – 2014) थे। सेवानिवृत्ति के बाद और अपने शौक, गोल्फ, यात्रा और लेखन को पूरा करने के बाद वे “स्ट्राइव”, (STRIVE), थिंक टैंक के अध्यक्ष हैं।
Disclaimer: अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं और जरूरी नहीं कि वे उस संगठन के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों जिससे वह संबंधित है या स्ट्राइव (STRIVE)का है।
Thank you PK for your warm appreciation. Grateful 🙏
Hi Sir,
It’s a master piece , in most simple language but loaded with content and intent . Most wonderfully elucidated with all the important, but generally missed nuances of our personal feelings and life .
Such a feel-good write-up. Sir , you have awakened the backyard of our memories and individual life’s journey .
It’s superlative . Thanks for penning it down the way you have , simple and heart touching and beautifully worded !!!👍👍
This is the true essence of POETRY
Need a drink now ………..🤓👌 Warmest regards ,
Maj Gen P K Singh 🥂🥂🥂
Excellent poem…very nicely composed, Sir. Compliments. Enjoyed reading it- Col Tara
Thank you PK for your warm appreciation. Grateful 🙏
Thanks PK for your appreciation.