कोविड-19 में पूर्व सैनिकों की अद्भुत क्षमता का उपयोग

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कोविड-19 महामारी

1.    कोरोना महामारी  या कोविड-19 के प्रकोप से प्रायः समस्त विश्व जूझ रहा है  । ताजा वैश्विक आंकड़ों के  अनुसार 2428576 में मृत्यु दर 6.84% की तुलना में भारत की 176056 संख्या में 3.16% की मृत्यु दर कोई प्रसन्नता का विषय नहीं है क्योंकि मृत्यु तो मृत्यु है  । हर एक नागरिक अपने देश की पूंजी होता है ।  शुरुआती दौर  के 4 महीनों में  इसने लगभग 10 लाख  लोगों को अपनी चपेट में लिया  परंतु मात्र 14 दिनों के अंतराल में ही 2000000 लोगों को दबोच लिया।  यदि इस भयानक विभीषिका का कारगर रोकथाम का उपाय नहीं किया गया तो समग्र मानवता का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। भारत में प्रकृति प्रदत्त विशेषताओं के कारण स्थिति नियंत्रण में थी परंतु 12 मार्च 2020 को दिल्ली में तबलीगी जमात का जमावड़ा एवं आनंद विहार में 28 मार्च को आम जनता की आकस्मिक भीड़ ने स्थिति को चिंताजनक बना दिया। हमारे देश की जलवायु ,जनसंख्या घनत्व,तथा लोगों का सामान्य जीवन स्तर इस महामारी की बढ़त को रोकने में कारगर सिद्ध हो रहा था ।  इस वजह से चिकित्सा क्षेत्र के लोगों को बीमारी से निपटने का समय भी मिल रहा था। सब कुछ के बावजूद प्रधानमंत्री की निरंतर उत्साहवर्धक प्रेरणा जनता के दिलों दिमाग में साहस का सृजन करती रही  ।

चुनौतियां 

2.    तेज रफ्तार से इसकी  बढ़त चिंताजनक है। विभिन्न शहरों के आंकड़े इस महामारी के दुगना होने का संकेत दे रहे हैं ।  अतः इसके सामुदायिक प्रसार को रोकना नितांत आवश्यक है,  चाहे इसके निमित्त सख्त कदम क्यों ना  उठाना पड़े।  भरपूर नियंत्रण के लिए 1- अधिक से अधिक जांच केंद्रों की स्थापना ,संक्रमित लोगों को पृथक या एकांतवास की व्यवस्था करना। 2-  प्रभावित क्षेत्रों की घेराबंदी करके प्रवासियों को उनके घरों पर भेजना एवं औषधि की व्यवस्था करना। 3-  क्वॉरेंटाइन (संगरोध) शिविरों  की स्थापना करना ।चीन ने ऐसे शिविरों की देखभाल के लिए बंद पड़े संस्थानों के कर्मचारियों का भी उपयोग किया था । 4-लोगों के एकत्रीकरण पर संपूर्ण रोक लगाना।  5-चिकित्सकीय कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी ,उनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम और गतिरोध पैदा करने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम एनएसए के अंतर्गत कानूनी कार्यवाही की व्यवस्था। 6-सार्वजनिक एयर कंडीशनिंग पर प्रतिबंध। 7-  संक्रमण रोधी व्यवस्था के अंतर्गत चिन्हित सभी क्षेत्रों में घर-घर तक भोजन एवं औषधियां पहुंचाने की निर्बाध योजना  । 8- संपूर्ण  देश में कोविड-19 के खतरे और बचाव की जानकारी पहुंचाने हेतु जन जागरण का सुचारु तंत्र खड़ा करना ।

पूर्व सैनिकों का क्रांतिकारी योगदान

3.   इस पैशाचिक  बीमारी की आंधी को शीघ्रता से नियंत्रित करने के विभिन्न कार्यों के लिए भारी श्रम शक्ति की आवश्यकता  पड़ेगी  । जैसे ,1- संक्रमण की जांच । 2- संक्रमण रोधी शिविरों (क्वॉरेंटाइन कैंप )की पूरे देश के ग्रामीण अंचल में खंड( ब्लॉक ) स्तर पर, शहरों में वार्ड स्तर पर  स्थापना।3- देशव्यापी आपूर्ति व्यवस्था  की श्रंखला बनाना । 4- खेती-बाड़ी जैसे मिलजुल कर काम करने वाली जगहों पर संक्रमण बचाव हेतु आपसी  दूरी बनाए रखने के तरीके अपनाना। 5 – कानून एवं व्यवस्था कायम रखना ।  इन विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए आनन-फानन में केवल पूर्व सैनिक ही  उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। सेनाओं में प्रशिक्षित हर एक सैनिक   प्रायः विभिन्न परिस्थितियों से निपटने में सक्षम होता  है।

4.  देश में आसन्न संकटापन्न  स्थिति में विभिन्न कार्यों, जैसे प्राथमिक उपचार( फर्स्ट  एड  ) बिजली व मोटर मेकैनिक, कानून व्यवस्था, ड्राइवर, लेखा-जोखा ,एवं सुरक्षा जैसे लगभग सभी कार्यों को अंजाम देने के लिए देश में पूर्व सैनिकों की विशाल श्रंखला उपलब्ध है।

5.  जहां तक संख्या बल की बात है तो डीजीआर के माध्यम से जून 2019 तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कुल पूर्व सैनिकों की संख्या 2675223 थी। इस संख्या में से कुल 559404 ने पुनः कार्य के लिए प्रार्थना पत्र दिया है ।  इस संख्या से  80% अवकाश प्राप्त सैनिक  भी  अगर 37 से 48 वर्ष की आयु के बीच के होते हैं तो यह आंकड़ा लगभग 4:30 लाख तक होगा। यदि इनमें से  30 प्रतिशत भी कार्यरत होना चाहते हैं तो संख्या 270000 तक हो जाएगी । इतनी बड़ी संख्या को जोड़ कर एक अस्थाई कार्यबल (टेंपरेरी वर्कफोर्स )खड़ा किया जा सकता है। ज्ञातव्य  है कि  देश के हर क्षेत्र में यह बल उपलब्ध है। इन की एक और विशेषता है कि हर एक युवा पेंशन भोगी सैनिक 80 वर्ष की आयु तक जीवन बीमा योजना से लाभान्वित है।

6.   नवीनतम जानकारी के अनुसार कुछ प्रदेशों की सरकारों ने  इनको  विभिन्न कार्यों में समाहित किया है । कर्नाटक सरकार ने 45 पूर्व सैनिकों द्वारा साइकिल से पूर्ति व्यवस्था आरंभ किया है। उत्तर प्रदेश में एएमसी के 6592 पूर्व सैनिकों को नामित किया है। आंध्र प्रदेश में 300 पूर्व सैनिकों को पुलिस के सहयोग हेतु भर्ती किया है। पंजाब ने 4200 लोगों को निगरानी तथा आंकड़े एकत्र करने के हेतु कार्यरत किया है। पर क्या यह काफी है ? ऊपर उल्लेख किए गए कार्यों के लिए हमें अत्याधिक पूर्व सैनिकों की जरूरत होगी ।तभी  हम कोविड-19 से सफलतापूर्वक युद्ध कर सकते हैं   ।  इन कार्यों के लिए हम जितने भी पूर्व सैनिकों को इस्तेमाल करते हैं उनको हमें पीएम या सीएम के कोष से कुछ पारितोषिक भी देना चाहिए ताकि उनका मनोबल ऊंचा रहे  ।

7.   फिलहाल जब तक इस पैशाची विभीषिका से निजात पाने के लिए कोई टीकाकरण की व्यवस्था अथवा औषधि नहीं तैयार होती है हमें अनुभव जन्य औषधियों का उपयोग समय अनुसार जांच तथा घरों में ही रहते हुए  अपने को सुशिक्षित रखना  है।