उड़ने कि जब चाह हो … by मेजर जनरल अभि परमार (से.नि)
उड़ने कि जब चाह हो आकाश भी ऊँचा नहीं
लक्ष्य ढूंढो तुम जहां कोई अभी पहुचा नही
पंख जब फैला दिये
तो उड़ चलो नभ भेद कर
नाप लो तुम सब दिशायें
सीना हवा का छेद कर
अभि..
18 Aug 2024
उड़ने कि जब चाह हो आकाश भी ऊँचा नहीं
लक्ष्य ढूंढो तुम जहां कोई अभी पहुचा नही
पंख जब फैला दिये
तो उड़ चलो नभ भेद कर
नाप लो तुम सब दिशायें
सीना हवा का छेद कर
अभि..
18 Aug 2024